माटी रो ओ तन है प्यारे, माटी में मिल जावेला।। कांई ईतरो घंमड करे है, मानखे फेर नी आवेला!! महला बैठो गड्डियां गिणे थू चोणा भेळो जावेला।। कागज वाली मोहरा बेटा, कुबदी बण उडावेला !! भोळो बणने सुकरत करले, आगे आडो आवेला।। वाणी माते शहद धर ले, नाम अमर हो जावेला !! बचाएं राखें पूर्वजों री संस्कृति मिट्टी मुस्कान हो जायली।। हांथ में राखें सनातन धर्म रो जनडो अमर हो जावेला।। अंधा ने सनातन धर्म संस्कृति संस्कार विचारों रे खातिर जगाउतो रे।। धार खातिर काल भी कसरीयो हों जावेला।। बढावतो रे पुर्वजों रा संस्कार ने जीवन भर अमर हो जावेला।। माता बहिनों रे खातिर पक्षी राज़ जटायु बन भगवान के चरणों में मरलो नारी शक्ति री लाज बचावण खातिर कृष्ण बण कोरव बाकी बचला नाई।। गाया री रक्षा खातिर तेजा बण कुल रो कुल देवता बणलो।। धर्म रे खातिर समझोतो बत करज तु मेवाड़ रो महाराणा कहलावलो।। धर्म संस्कृति पर आंच आवे तो धनुष सु बाण चला प्रथ्विराज चौहान और अमर सिंह राठौड़ कहलावलो।। जाग और जगावतो रे तु भोर सवर रो तारों कहलावलो।। बचाऊतो रे और समाज में बताऊतो रे तु पूर्वजों रो फ़र्ज़ उतारतो रे।। मरीया पचे भी तु अमर कहतावतो रे।।