Tu Nahin Aur Sahi is a 1960 Hindi-language film directed by Brij. It stars Pradeep Kumar, Kumkum in lead roles with music by Ravi.[1]
Tu Nahin Aur Sahi | |
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Directed by | Brij |
Starring | Pradeep Kumar Kumkum |
Music by | Ravi |
Release date |
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Country | India |
Language | Hindi |
Cast
edit- Pradeep Kumar as Ratan
- Kumkum as Geeta
- Nishi as Bimla
- Minoo Mumtaz as Rita
- Helen
- Murad
- Kundan
- Tun Tun
Music
editMusic of the film was composed by Ravi and the songs were written by Majrooh Sultanpuri, Asad Bhopali and Shakeel Numani.
Song | Singer |
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"Tu Nahin Aur Sahi" | Mukesh |
"Seedhe Saade Insanon Ka" | Mohammed Rafi |
"Yeh Rangbhare Badal, Yeh Udta Hua Aanchal Kehta Hai" | Mohammed Rafi, Asha Bhosle |
"Dekhiye Huzoor, Mujhse Rehke Door Door, Kheliye Na" | Mohammed Rafi, Asha Bhosle |
"Meri Mehfil Mein Aake Dekh Le, Zara Aankhen Milake" | Mohammed Rafi, Asha Bhosle |
"Deewana Hoon Main Pyar Ka, Sama Hai Ikraar Ka" | Mohammed Rafi, Asha Bhosle |
"Man Hi Man Muskaye Re" | Asha Bhosle |
References
edit- ^ Jerry Pinto (2006). Helen: The Life and Times of an H-Bomb. Penguin Books India. p. 231. ISBN 9780143031246.
Story
Tu Nahin Aur Sahi | |
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Directed by | Brij |
Starring | Pradeep Kumar Kumkum |
Music by | Ravi |
Release date |
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Country | India |
Language | Hindi |
Tu Nahin Aur Sahi is a 1960 Hindi-language film directed by Brij. It stars Pradeep Kumar, Kumkum in lead roles with music by Ravi.[1] रतन प्रदीप कुमार एक छोटी सी सरकारी नौकरी करता है, एक अमीर पिता की इकलौती बेटी बिमला (निशि) रतन से प्रेम करती है। अपनी शादी कहीं और तय होने के बाद बिमला यह कहकर की वह उसके बिना नही जी सकती, रतन से भाग चलने के लिए दबाव बनाती है। रतन उसे ऐसा करने को मना करता है लेकिन बिमला की जिद के आगे हार जाता है, और इस शर्त पर बिमला के साथ चलने को तैयार होता है कि वह अपने घर से पैसे और जेवर नहीं लाएगी, वरना दुनिया उसे लालची कहेगी ,कि उसने पैसे के लालच में अमीर बाप की बेटी को भगाया है। वह अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर और अपने परिवार से झूठ बोलकर बिमला के साथ बम्बई चला जाता है। जहां वह नौकरी पाने के लिए संघर्ष करता है और बिमला के साथ एक टूटे फूटे झोपड़े में रहता है। यह तय होता है कि नौकरी मिलते ही दोनों शादी कर लेंगे । बिमला गरीबी नहीं सह पाती और अपने पिता को खत लिखकर उसे लेने आने को कहती है। बिमला के पिता पुलिस को लेकर बम्बई आते है।रतन पर अमीर बाप की बेटी के अपहरण का और जेवर नकदी चुराने का आरोप लगता है। बिमला कोर्ट में झूठा बयान देती है और रतन को 2 साल की जेल हो जाती है। इसी सदमे में रतन की बीमार बहन मर जाती है।जेल में रतन की दोस्ती हीरा नाम के जेबकतरे से होती है। जेल से छूटने के बाद रतन फिर से शरीफ जिंदगी जीने की कोशिश करता है लेकिन समाज उसे स्वीकार नही करता, उसे कोई नौकरी नही देता। सभी उसे लड़कियों को भगाने वाला कहकर दुत्कारते है। अंततः वह हीरा नाम के जेबकतरे की गैंग में शामिल हो जाता है। वह बिमला से बदला लेना चाहता है। तभी उसकी मुलाकात एक अमीर डायमंड मर्चेंट की बेटी रीटा से होती है। एक अमीर बिजनसमैन बबनने का नाटक कर वह रीटा को अपने प्रेम जाल में फांसता है। रतन लड़कियों से नफरत करता है और रीटा के साथ प्यार का नाटक करता है।उसे पता चलता है कि बिमला रीटा की भाभी है। बिमला रीटा को रतन से मिलने जुलने मना करती है। रीटा की सहेली गीता (कुमकुम) एक अनाथ लड़की है जिसे रीटा के पिता ने अपनी बेटी की तरह पाला है। गीता को रतन की सच्चाई पता चल जाती है कि वह बिजनेसमैन नही है ,बल्कि चोर बदमाश और एक बुरा आदमी है। वह रतन से रीटा की जिंदगी बर्बाद न करने का वचन लेती है। रीटा के पिता उसकी शादी तय कर देते है। रतन रीटा के प्रेमपत्र उसके होने वाले पति को दिखाने का कहकर 50000 रुपये मांगता है। रीटा गीता को पचास हज़ार रुपये देकर कहती है कि उसके प्रेमपत्र ले आये । गीता रीटा के प्रेमपत्र रतन से खरीद लेती है। इधर तिजोरी से पचास हज़ार रुपये चोरी होने से हंगामा मच जाता है। रीटा के पिता पुलिस को बुलाने वाले होते है तभी गीता कहती है कि पचास हज़ार रुपये उसने चुराए है। लेकिन चोरी करने का कारण नही बताती। पुलिस गीता को न पकड़ लके इसलिए रतन रीटा के पिता को पचास हज़ार रुपये लौटाते हुये कहता है कि चोरी गीता ने नही बल्कि मैंने की है।रीटा के पिता शादी के दिन बदनामी होने के डर से पुलिस को नही बुलाते। रतन चला जाता है, और गीता भी रतन के पीछे पीछे दौड़ती चली जाती है । रतन को एहसास होता है कि सभी लडकिया बिमला की तरह बेवफा नही होती। और गीता को भी एहसास होता है कि वह रत्न से प्यार करती है।
- ^ Jerry Pinto (2006). Helen: The Life and Times of an H-Bomb. Penguin Books India. p. 231. ISBN 9780143031246.