फिल्मों में मुसलमानों को ही क्यों आतंकवादी दिखाया जाता है

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आज हमारी सोच इतनी छोटी हो गई है कि जब भी कहीं मुस्लमान को देखें या मुस्लिम नाम सुने तो हम उनकोआतंकवादी बोलते है। अगर किसी मुस्लमान को अपना दोस्त बना लिया तो जैसे तूफान आ गया हो। हमारी फिल्मों में आतंकवादी सिर्फ मुस्लमान को ही दिखाया जाता है, क्या सिर्फ मुसलमान ही आतंकवादी होते हैं। मुसलमान दिखा नहीं की बच्चों को डराना शुरू की इनसे बचकर रहो, तुम्हे मार देंगे । क्या मुस्लमान होना गुनाह है , क्या कभी सोचा है की जो आतंकवादी बना है वो क्यों बना है । धर्म के नाम पर किया गया आतंकवाद जरूर महापाप है पर अपनों को खोने के बाद लिया हुआ बदला आतंकवाद नही एक तमाचा है उन लोगों पर जो अन्याय के सामने सिर झुकाते है। जो लोग इतनी छोटी सोच रखते है वो इस देश पर बोझ नहीं तो और क्या है। ऐसे लोग मानवता पर कलंक है। इसलिए अपनी सोच बदलो मुस्लमान हो या किसी भी धर्म का, सबको एक जैसे इज्जत दो। Jaipreetjs98 (talk) 17:25, 6 February 2023 (UTC)Reply